Mangala gauri aarti marathi | जय देवी मंगळागौरी – मंगळागौरीची आरती

Mangala gauri aarti marathi: सावन में शिव जी की आरती के साथ साथ मां गौरा पार्वती की भी पूजा की जाती है और इस महीने के दौरान पड़ने वाले हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। मंगला गौरी व्रत आमतौर पर जीवन में अखंड सौभाग्य पाने के लिए किया जाता है

इसीलिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को सावन महीने में पुरे विधि विधान के साथ रखती हे । पूजा के दौरान धूप, फूल और फलों के साथ मां गौरी की पूजा करने से पहले दीपक जलाते हे । और माँ मंगला गौरी के आरती गाने से जीवन के सारे कस्ट दूर हो जाते हे।  

Mangala gauri aarti marathi

जय देवी मंगळागौरी ॥
ओवाळीन सोनियाताटी ॥
रत्नांचे दिवे ॥
माणिकांच्या वाती ॥
हिरेया मोती ज्योती ॥ ध्रु० ॥

मंगळमूर्ती उपजली कार्या ॥
प्रसन्न झाली अल्पायुषी ॥
राया तिष्ठली राजबाळी ॥
अहेवपण द्यावया ॥ जय ० ॥ १ ॥

पूजेला ग आणिती जाईच्या कळ्या ॥
सोळा तिकटी सोळा दूर्वा ॥
सोळा परीची पत्री ॥
जाई जुई आबुल्या शेवंतू नागचांफे ॥ ध्रु० ॥

पारिजातकें मनोहरे ॥
गोकर्ण महाफुले ॥
नंदेटें तगरें ॥
पूजेला ग आणिली ॥ जय० ॥ २ ॥

साळीचे तांदूळ मुगाची डाळ ॥
अळणी खिचडी रांधिती नार ॥
आपुल्या पतीलागी सेवा करिती फार ॥ जय० ॥ ३ ॥

डुमडुमे डुमडुमे वाजंत्रे वाजती ॥
कळावी कांकणे हाती शोभाती ॥
शोभती बाजुबंद ॥
कानी कापांचे गबे ॥
ल्यायिली अंबा शोभे ॥ जय० ॥ ४ ॥

न्हाउनी माखुनी मौनी बैसली ॥
पाटावाची चोळी क्षीरोदक नेसली ॥
स्वच्छ बहुत हो‍उनी ॥
अंबा पूजूं बैसली ॥ जय० ॥ ५ ॥

सोनियाचे ताटी ॥
घातिल्या आता ॥
नैवेद्य षड्रसपक्वान्ने ॥
ताटी भरा मोदे जय० ॥ ६ ॥

लवलाहे तिघे काशी निघाली ॥
माऊली मंगळागौरी भिजवू विसरली ॥
मागुती परतुनिया आली ॥
अंबा स्वयंभू देखिली ॥
देऊळ सोनियांचे ॥
खांब हिरेयांचे ॥
वरती कळस मोतियांचा ॥ जय० ॥ ७ ॥

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mangalagaur aarti | mangla gauri ki aarti

mangala gauri aarti | mangla gauri vrat katha: कुछ महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए तो कुछ महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए mangla gauri vrat करती हैं। मंगलागौरी व्रत करने से भगवान शिव के साथ साथ साथ माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। शादीशुदा महिलाओं की तरह कुंवारी लड़कियां भी अच्छा पति पाने के लिए mangla gauri vrat करती हैं।

मान्यता हे कि mangla gauri ki aarti और mangla gauri vrat katha नवविवाहित महिलाओं द्वारा पांच वर्षों तक श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। इसलिए नवविवाहित महिलाएं मिलकर इस व्रत को मनाती हैं। पूजा स्थल पर सुबह सभी नवविवाहित महिलाएं एकत्रित होकर mangla gauri ki aarti करती हैं।

पूजा के लिए मां मंगलागौरी की धातु की मूर्ति स्थापित की जाती है और उसके बगल में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके बाद मंगलागौरी की षोडशोपचार पूजा की जाती है और mangla gauri vrat katha का पाठ किया जाता है। कथा समाप्त होने के बाद, देवी mangla gauri ki aarti की जाती है, और फिर प्रसाद वितरित किया जाता है।  

सुबह स्नान करने के बाद देवी मंगलागौरी को दही चावल का भोग लगाकर आरती की जाती है। आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित की जाती है और फिर देवी का विसर्जन किया जाता है। देवी पार्वती, माता अन्नपूर्णा रूपी का अनुसरण करते हुए उनका मंगलागौरी व्रत नवविवाहित महिलाओं और कुंवारी लड़कियों के लिए बहुत फायदेमंद है, उन्हें इसे नियमित रूप से करना चाहिए। 

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