Ram Raksha Stotra Lyrics: पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि भगवान शिव ने ऋषि बुधकौशिक को सपने में Ram Raksha Stotra के बारे में बताया था; पौराणिक कथा के अनुसार, प्रातः काल ऋषि ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा था। जो लोग इसे पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं उउनकी भगवान राम हमेसा रक्षा करते हे ।
माना जाता है कि नियमित रूप से shri ram raksha stotra का पाठ करने से शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। पंडित प्रशांत मिश्रा कहते हैं कि shree ram raksha stotra पाठ करने से हर व्यक्ति की समस्याएं हल हो जाती हैं; और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती हैं क्यंकि इसका पाठ करने से श्री राम के साथ साथ हनुमान जी की भी कृपा बनी रहती हे।
Ram raksha stotra in Hindi
विनियोग
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः।सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।
अथ ध्यानम्
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥
राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥
इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी,
रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥
रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥
॥इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
राम रक्षा स्तोत्र मंत्र क्या है?
राम रक्षा स्तोत्र एक संस्कृत भजन है जो भगवान राम को समर्पित है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में विष्णु के अवतारों में से एक है। माना जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के नुकसान से सुरक्षा मिलती है और साथ ही उसे सौभाग्य भी मिलता है।
Ram Raksha Stotra का पाठ कैसे करना चाहिए?
Ram Raksha Stotra Lyrics का पाठ शुरू करने से पहले, प्रसाद चढ़ाएं और अपने देवताओं से प्रार्थना करें, उनका आशीर्वाद लें। हमें राम रक्षा स्तोत्र का पाठ शुरू करने से पहले हनुमान मंत्र का जाप करना चाइये । एक बार पाठ समाप्त हो जाने पर, समापन में हनुमान मंत्र का जाप दोबारा दोहराएं!
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करके इसके पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए भक्ति, एकाग्रता और प्रत्येक श्लोक के पीछे के अर्थ को समझने की आवश्यकता होती है। पाठ से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसे भक्ति और एकाग्रता के साथ किया जाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान राम को ध्यान में रखते हुए भजन गाते हुए उनकी मंदिर में पूजा करते समय फल या फूल चढ़ाएं, इसके बाद आरती समारोह करते हुए दीपक जलाये और साथ में राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें!
राम रक्षा स्त्रोत पढ़ने से क्या होता है?
श्रीराम रक्षा स्त्रोत भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करता है। ऐसा माना जाता है कि इसका पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और खुशियाँ मिलती हैं – इसकी शक्ति इतनी है कि कोई भी दुश्मन आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता!
Ram Raksha Stotra में कितने श्लोक हैं?
श्री राम रक्षा स्तोत्र में 38 श्लोक हैं
Ram Raksha Stotra Lyrics कब शुरू करना चाहिए?
नवरात्रि के दौरान इसका पाठ शुरू इसका पाठ जरूर करना चाइये, व्यक्ति को भगवान राम का सम्मान करते हुए आत्म-शुद्धि के विभिन्न कार्यों के माध्यम से अपनी आत्मा और शरीर को शुद्ध करना चाहिए।
shree ram raksha stotra किसने लिखा था?
ऋषि बुधकौशिक ने राम रक्षा स्तोत्र को लिखा था
shri ram raksha stotra को पढ़ने के क्या लाभ हैं ?
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली हर प्रकार की बुराई से छुटकारा मिलता है भय दूर रहता है, नियमित पाठ के माध्यम से सभी प्रकार के शारीरिक बीमारियों से राहत मिलती है, जिससे खुशी और समृद्धि से भरा एक लंबा, फलदायी जीवन मिलता है।